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उत्तराखंड की मृदा/ मिट्टी (soil of uttarakhand)

 Uttarakhand's soil
(toc)(Table of Content)
उत्तराखंड राज्य में पर्वतीय मिट्टी पाई जाती है व इस मृदा में जीवाश्म अधिक मात्रा में मिलते हैं।

तराई क्षेत्र की मृदा

 -  उधम सिंह नगर के तराई क्षेत्र में यह मृदा पाई जाती है।  तराई क्षेत्र की मृदा अत्यधिक महीन कण वाली होती है राज्य की अन्य मृदा की अपेक्षा यह अधिक परिपक्व तथा नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की कमी वाली मृदा है। तराई क्षेत्र की मृदा गन्ना के उत्पादन के लिए अत्यधिक उपयोगी होती है।



भाबर क्षेत्र की मृदा

 -  इस क्षेत्र में अत्यधिक मात्रा में कंकड़ पत्थर पाए जाते हैं, भाबर क्षेत्र की मृदा कृषि कार्य के लिए अनउपयुक्त होती है।



चारागाही मृदा

 - यह मृदा पानी से निर्मित होती है ,जल धाराओं के निकट ,नदिया एवं प्रभावों के तटवर्ती यह मृदा पायी जाती है यह मृदा अत्यधिक उपजाऊ होती है।



टर्सरी मृदा

 - यह मृदा शिवालिक श्रेणियों में पाई जाती है, इसी मृदा से दून घाटी का निर्माण हुआ है।  यह मृदा कम आद्रता को धारण करती है।



क्वार्ट्ज़ मृदा

 - यह मृदा दलदलीय क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है,  नैनीताल एवं भीमताल क्षेत्रों में यह मृदा अधिक मात्रा में मिलती है।



ज्वालामुखी मृदा 

-  नैनीताल के भीमताल में ज्वालामुखी मृदा पाई जाती है।  यह मृदा आग्नेय चट्टानों के क्षरण होने से निर्मित हुई है, यह मृदा अत्यधिक उपजाऊ  होती है।



लाल मृदा

 -  यह मृदा अधिकांशत पहाड़ों की ढालो या पर्वतों के किनारे पाई जाती है, यह मिट्टी असंगठित होती है।



लाल पीली मृदा 

- इस मृदा में चूना पत्थर बहुतायत मात्रा में पाया जाता है, सामान्यतः यह मृदा धरातलीय चट्टानों एवं प्रकृति रूपांतरण के कारण बनती है।


वन्य मृदा या जंगली मृदा

 - यह मृदा  पर्वतीय जंगलों में पाई जाती है, इसमें ह्यूमस की मात्रा अधिक होती है।


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