कैलाश मानसरोवर यात्रा
आयोजक- भारत सरकार का विदेश मंत्रालय।यह यात्रा नई दिल्ली से शुरू होती है, यह यात्रा जून के प्रथम सप्ताह से शुरू होकर सितंबर के अंतिम सप्ताह तक चलती है इस यात्रा में कुमाऊं मंडल विकास निगम एवं भारत तिब्बत सीमा पुलिस सहयोग प्रदान करती है इस यात्रा का अंतिम बिंदु लिपुलेख दर्रा होता है यह यात्रा 40 दिन में पूरी होती है इसमें कैलाश की 51 किलोमीटर गोलार्द्ध दूरी तय करनी होती है कैलाश एवं मानसरोवर के मध्य 32 किलोमीटर की दूरी है।
खत लिंग रुद्रा देवी यात्रा
- यह यात्रा टिहरी में आयोजित होती है, इसे राज्य की पांचवें धाम यात्रा के नाम से जाना जाता है, खतलिंग की यात्रा प्रतिवर्ष सितंबर माह में आयोजित होती है।
पवांली कांठा यात्रा
- यह यात्रा टिहरी गढ़वाल के पवांली कांठा से रुद्रप्रयाग के केदारनाथ तक की जाने वाली 29 किलोमीटर की यात्रा है।
आयोजन- यह अगस्त से सितंबर में आयोजित होती है यह माटया बुग्याल से पवाली कांठा वहां से त्रिजुगीनारायण होकर केदारनाथ पहुंचती है।
आयोजन- यह अगस्त से सितंबर में आयोजित होती है यह माटया बुग्याल से पवाली कांठा वहां से त्रिजुगीनारायण होकर केदारनाथ पहुंचती है।
सहस्त्र ताल यात्रा
- यह यात्रा बूढ़ाकेदार से शुरू होकर सहस्त्र ताल समूह तक जाती है,यह यात्रा निशाण की यात्रा होती है।
वारुणी यात्रा
- यह यात्रा उत्तरकाशी में आयोजित होती है, यह एक दिवसीय पंच पौराणिक यात्रा है। यह चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है वारुणी व भागीरथी के संगम पर शुरू होकर वरुणावत पर्वत तक जाती है, सामान्यतः इसमें 20 किलोमीटर पैदल चलकर जाना होता है।
द्ववयौरा यात्रा
- पिथौरागढ़ में आयोजित यह यात्रा डेढ़ साल तक विभिन्न मंदिरों व तीर्थों में रात्री विश्राम कर यात्रा पूरी करनी होती है। यह चेढोल क्षेत्र में उत्सव मनाते है, यात्रा में विवाहित कन्याएं अपना अंशदान इस यात्रा को देती है।
Must read -