1. नंदा देवी मेला
- चमोली में आयोजित प्रत्येक भाग शुक्ल की पंचमी के दिन नंदा देवी मेला लगता है, अल्मोड़ा के नंदा देवी परिसर में पंचमी के दिन केल थाप(खाप) पर नंदा की प्रतिमा बनाई जाती है।
2. श्रावणी मेला
- अल्मोडा के जागेश्वर धाम में प्रतिवर्ष यह मेला लगता है जिसमें संतान प्राप्ति के लिए खड़े दिए का आयोजन होता है।
3. गणनाथ मेला
- अल्मोड़ा के गणनाथ के निकट इस मेले का आयोजन होता है।
4. सोमेश्वर का मेला
- सोमेश्वर लगने वाला यह मेला यह पशु क्रय - विक्रय का मेला है, इस मेले के अवसर में चाँचरी ,भगनोल एवं छोलिया न्रत्य का आयोजन किया जाता है।
5.बग्गवाल मेला
- यह चंपावत के बरही देवी के मैदान में आयोजित होता है, इसमें गेड़वाल ,चम्याल, ल्मगड़िया व बलिया चार खामों के लोग भाग लेते हैं इसे आषाढ़ी कौथिक भी कहते हैं।
6. लड़ी-धूरा मेला
- यह मेला चंपावत के पदमा देवी के मंदिर में आयोजित होता है, इसमें बॉस्कोट एवं का काकड़ गावँ के लोग देवता की पूजा करते हैं।
7. मानेश्वर का मेला
- यह मेला चंपावत के मायावती के निकट चमत्कारी शिला के समीप लगता है इसमें पशु के स्वस्थ होने की कामना की जाती है।
8. जालजीवी मेला
- यह मेला पिथौरागढ़ में काली एवं घोरी नदी के संगम पर आयोजित किया जाता है , इस मेले में लाखिया भूत केंद्रीय पात्र होता है।
9. बाल-सुंदरी का मेला
- द्रौपदी का वास्तविक नाम बाला सुंदरी था,यह मेला चैत्र नवरात्रा में काशीपुर के उधमसिंह नगर में आयोजित किया जाता है।
10. माघ मेला
- यह मेला उत्तरकाशी में लगता है। यह मेला तांदी नृत्य का प्रमुख केंद्र होता है।
11. विश्व मेला
- यह मेला जौनसार में आयोजित होता है। विश्व मेला भुटाणु ,टिंकोची व भेझणी में आयोजित होता है, विश्व मेले में युद्ध व रोमांचकारी कला का प्रदर्शन होता है।
12. गिन्दीं मेला
- इस मेले में गेदं को छीनकर विजयी होने की प्रथा है। गिन्दीं मेला पौड़ी गढ़वाल में आयोजित होता है।
13. दंनगल मेला
- यह मेला पौड़ी जनपद में शिव मंदिर में शिवरात्रि के दिन लगता है।
14. रण-भूत कौथिक
- यह मेला टिहरी के नैलचामीं पट्टी के ठेला गांव में आयोजित होता है। इसमे युद्ध में मरे लोगों की याद में भूत नृत्य किया जाता है।
15. विकास मेला
- विकास मेला टिहरी में आयोजित होता है,
16. गौचर मेला
-यह मेला सर्वप्रथम सन् 1943 आयोजित किया गया था। यह मेला औधोगिक मेला है। गौचर मेला नेहरू जी की याद में लगता है।
17. लूणाई मेला
- यह मेला जौनसार क्षेत्र में आयोजित होता है। यह मेला भेड़ पलको द्वारा आयोजित होता है।
18. टपकेश्वर मेला
-यह मेला देहरादून में शिवरात्रि के दिन टोंस नदी निकट आयोजित किया जाता है। टोंस नदी गुफा के बगल में गदेरे के रूप में बहती है।
19. झंडा मेला
- यह मेला चैत्र माह की पंचमी को देहरादून में आयोजित होता है। यह मेला गुरु राम रॉय के पंजाब से देहरादून आने की याद में आयोजित किया जाता है।
- कुम्भ मेला हरिद्वार में आयोजित होता है। यह मेला ब्रहस्पति के कुंभ राशि में प्रवेश और सूर्य के मेष राशि में प्रवेश होने पर अजोजित किया जाता है।
21. उत्तरैणी मेला
- यह मेला बागेश्वर में सरयू नदी के किनारे आयोजित होता है।
इसी मेले में बद्रीदत्त ने रजिस्टर सरयू नदी में बहाये थे।
इसी मेले में बद्रीदत्त ने रजिस्टर सरयू नदी में बहाये थे।
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