संविधान – किसी भी देश की शासन व्यवस्था को चलाने के लिए नियम एवं कानूनों का संग्रह संविधान कहलाता है, डॉ भीमराव को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है।
संविधान-वाद – देश के नागरिकों को अधिक से अधिक स्वतंत्रता प्रदान करना, संविधान-वाद कहलाता है।
संविधान का इतिहास
1757 का अधिनियम – प्लासी युद्ध की विजय के उपलक्ष्य में बंगाल का पहला गवर्नर, महारानी विक्टोरिया द्वारा ‘’ राबर्ट क्लाइव’’ को बनाया गया।1773 का रेगुलेटिंग एक्ट – इस एक्ट के अनुसार बंगाल के गवर्नर को बंगाल का ‘’गवर्नर जनरल’’ बनाया जाता है , ‘’वारेन हेस्टिंग’ को बंगाल का पहला गवर्नर जनरल बनाया जाता है।
1774 में बंगाल में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की जाती है, जिसमें तीन न्यायाधीश एक मुख्य न्यायाधीश होता था।
1784 का एक्ट- बंगाल में दोहरा शासन स्थापित किया जाता है, 1. कोर्ट ऑफ डायरेक्टर ,2. बोर्ड ऑफ कंट्रोलर।
1793 का एक्ट - इस एक्ट में ‘’बोर्ड ऑफ कंट्रोलर’ के कर्मचारियों को नगद वेतन देने का प्रावधान किया गया।
1813 का एक्ट - इस एक्ट में ईस्ट इंडिया कंपनी के एकाधिकार को समाप्त किया जाता है, एवं कंपनी का भारत में 20 वर्ष का कार्यकाल और बढ़ाया जाता है, एवं शिक्षा के लिए एक लाख की धनराशि खर्च करने का प्रावधान।
1833 का एक्ट - इस एक्ट में बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बनाया जाता है एवं ‘’लॉर्ड विलियम बेंटिक’’ भारत के प्रथम गवर्नर जनरल बनते हैं इस समय लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में विधि आयोग का गठन एवं भारत की राज्य भाषा अंग्रेजी घोषित की जाती है
1853 का एक्ट- इस एक्ट के अनुसार भारत में विधान परिषद का गठन किया जाता है एवं भारत आने वाले पदाधिकारियों के लिए ब्रिटेन में सिविल परीक्षा का आयोजन कराया जाता है।
1854 का एक्ट – इस एक्ट में पहली बार महिला, एस सी, एस टी की शिक्षा का प्रावधान रखा जाता है,इसे शिक्षा का घोषणा पत्र भी कहते हैं।
1858 का एक्ट (अधिनियम) - यहां पर ईस्ट इंडिया कंपनी के एकाधिकार को समाप्त किया जाता है एवं ब्रिटेन की महारानी का सीधा नियंत्रण भारत पर होता है रानी के प्रतिनिधित्व के रूप में लार्ड केनिन को पहला वायसराय बनाया जाता है।
इस एक्ट के अनुसार भारत सचिव का पद बनाया जाता है एवं पहले भारत सचिव चार्ल्स वुड बनते हैं, इसी एक्ट के अनुसार 1860 में जा विल्सन के द्वारा पहला बजट पास किया जाता है। इस अधिनियम में वायसराय को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की जाती है एवं बंगाल मद्रास एवं मुंबई में उच्च न्यायालय की स्थापना होती है।
1892 का अधिनियम - इस अधिनियम में भारतीयों को वायसराय से प्रश्न पूछने का अधिकार दिया जाता है लेकिन यह आंशिक प्रश्न को पूछ सकते हैं।
1909 का अधिनियम - इसको मिंटो सुधार अधिनियम भी कहते हैं इस अधिनियम में पहली बार मुसलमानों को सांप्रदायिकता के आधार पर पृथक निर्वाचन क्षेत्र प्रदान किए जाते हैं
सविंधान से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
बी एन राव को संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया थासंविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में प्रारंभ हुआ, डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को इसका अस्थाई अध्यक्ष चुना गया।
11 दिसंबर 1946 की बैठक में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष चुना गया।
13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘’उद्देश्य प्रस्ताव’’ प्रस्तुत कर संविधान की आधारशिला रखी।
संविधान के निर्माण हेतु अनेक समितियां बनाई गई, जिनमें सबसे प्रमुख डॉ भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में बनी 7 सदस्यों वाली प्रारूप समिति थी।
प्रारूप समिति ड्राफ्टिंग कमिटी के सदस्य
अध्यक्ष - डॉक्टर भीमराव अंबेडकर
अन्य सदस्य -
सर्वश्री एंड गोपाल स्वामी आयंगर
अल्लादी कृष्णस्वामी
के एम मुंशी
एन माधवराव
मोहम्मद सदुल्लाह
डी पी खेतान (1948 में इनकी मृत्यु के पश्चात टीटी कृष्णमाचारी )
अल्लादी कृष्णस्वामी
के एम मुंशी
एन माधवराव
मोहम्मद सदुल्लाह
डी पी खेतान (1948 में इनकी मृत्यु के पश्चात टीटी कृष्णमाचारी )
संविधान को तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा।
संविधान 26 नवंबर 1949 को बंद कर तैयार हो गया था और इसी दिन इस पर अध्यक्ष के हस्ताक्षर हुए पर इसके अधिकतर भागों को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया इसलिए 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।
संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई और इसी दिन संविधान सभा द्वारा डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया
नव निर्मित संविधान में 395 अनुच्छेद 22 भाग तथा 8 अनुसूचियां थी।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है।
संविधान की प्रस्तावना की भाषा ऑस्ट्रेलिया से ली गई है तथा संपूर्ण शक्ति भारत की जनता को दे रखी है
प्रस्तावना को संविधान की कुंजी कहा जाता है पंडित नेहरू में प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा था।
42वां संविधान संशोधन 1976 के द्वारा प्रस्तावना में समाजवाद पंथनिरपेक्ष तथा अखंडता शब्द को जोड़ा जाता है
प्रस्तावना को संविधान की कुंजी कहा जाता है पंडित नेहरू में प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा था।
42वां संविधान संशोधन 1976 के द्वारा प्रस्तावना में समाजवाद पंथनिरपेक्ष तथा अखंडता शब्द को जोड़ा जाता है
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