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जवानी की दहलीज पर पहुंच चूका उत्तराखंड . बेरोजगार तो नही?

Photo source - internet

खड़ा हूं आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिए

सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझे

-नज़ीर बाक़री

आज तक मैंने इतिहास की किताबो में, अखबारों में और विडियो इत्यादि में ही पुलिस की अमानुष कृत्यों और बर्बरता के बारे सुना और देखा था लेकिन आज दिनांक 9 फरवरी 2023 को गांधी पार्क से घण्टा घर (देहरादून) तक इस बर्बरता का मंजर अपनी आंखों से देखा ।

जाहिलो की तरह वो उन छात्र-छात्राओं को धरना स्थल से खदेड़ रहे थे जो अपनी जायज मांगो को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे।

और याद रखिये दोस्तो ये सब कृत्य वही सरकार करवा रही थी जिसको आपने और हमने बनाया ।

भाजपा किस प्रकार जोड़ तोड़ की राजनीति करती है उसका उदाहरण आज देर सबेर पुलिस कांस्टेबल का रिजल्ट आना है ।

अपने कुकर्मो को छुपाने के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते है फिर चाहे किसी का सिर फूटे, हाथ टूटे,भविष्य बर्बाद हो जाये इनको कोई फर्क नही पड़ता ।


और सुप्रीम लीडर को कह देना आज गंगा की उद्गम स्थली के युवाओं का बुलावा आया है कि आओ और देखो संसद में दिये तुम्हारे भाषण की सच्चाई सड़को पे दिख रही है, देखो तुम्हारे इस इंजन ने हमारा भविष्य धुआं धुआं कर दिया है. 


सरकारों से मैंने पूछा – क्या है बेरोजगारी?

अभी तक कोई उत्तर नही मिला सरकारी.

 लेखक -


अमन राणा 

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