उत्तराखंड के प्रमुख व्यक्तित्व एवं स्वतंत्रता सेनानी एंव उनके उपनाम
1. कालू मेहरा
- ये उत्तराखंड के पहले स्वतंत्रता सेनानी हैं। इनका जन्म 1831 में चंपावत के लोहाघाट के निकट विसुड नामक गांव में हुआ था। 1857 की क्रांति में इन्होंने क्रांति का नेतृत्व किया था। इस समय कमिश्नर रैमजे होते हैं।
इन्होंने क्रांतिवीर नामक संगठन बनाया। सन उन्नीस सौ छह(1906) में इनकी मृत्यु हो जाती है। इन्होंने डिबेटिंग क्लब भी निकाला था।
2.बद्रीदत्त पांडे
- इनका जन्म 1882 में कनखल में हुआ था। बद्री दत्त पांडे ने 'अल्मोड़ा अखबार' में अंग्रेजो के खिलाफ लेख लिखा जिस कारण 1918 में अल्मोड़ा अखबार को बंद किया गया। फिर 1918 में इन्होंने 'शक्ति समाचार पत्र' का प्रकाशन किया।
13-14 जनवरी 1921 में बागेश्वर के सरयू नदी में उत्तरैणी मेले के दिन कुली बेगार के रजिस्टर सरयू नदी में बहा दिया था। बद्री दत्त पांडे ने 'कुमाऊं का इतिहास' पुस्तक लिखी। इसके लिए इन्हें 'कुमाऊं केसरी' की उपाधि मिली।
3. हरगोविंद पंत
- 1885 में इनका जन्म अल्मोड़ा में होता है। इन्होने कुलीन वर्ग के लोगों द्वारा हल न चलाए जाने की प्रथा का बागेश्वर में उल्लंघन किया था।
4. बैरिस्टर मुकुंदी लाल
- इनका जन्म वर्ष 1885 में पाटली गांव चमोली में हुआ था। कानून की पढ़ाई के लिए यह इंग्लैंड गए थे, भारत आकर बाल गंगाधर तिलक से प्रभावित होकर राजनीति में सक्रिय हो गए। 1926 में इन्होंने स्वराज पार्टी से गढ़वाल संसदीय सीट पर चुनाव लड़ा था।
इन्होने मौलाराम के चित्रों को अंतराष्ट्रीय ख्याति दिलाई। मौलाराम पर इन्होंने 'गढ़वाल पेंटिंग' व 'Some notes of MolaRam' पुस्तकों को लिखा।
5.बलदेव सिंह आर्य
- ये पौड़ी के निवासी थे। ये सर्वाधिक लंबी अवधि तक विधायक व मंत्री पद को शोभित करने वाले पहले व्यक्ति है।
6. पंडित गोविंद बल्लभ पंत
- 10 सितंबर 1887 को इनका जन्म अल्मोड़ा के खूंट गांव में हुआ। इन्हें हिमालय पुत्र कहा जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें हिमालय पुत्र की उपाधि दी थी। इन्होंने सन 1914 में 'प्रेम सभा' की स्थापना काशीपुर में की थी।
ये संयुक्त प्रांत के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति थे। इन्हें 1957 में भारतरत्न से सुशोभित किया जाता है। ये उत्तराखंड के एकमात्र व्यक्ति है,जो गृह मंत्री बने।
7. हर्षदेव औली
- इन्होंने वन संरक्षण कानून को 1930 में वापस कराने के कारण इन्हें 'काली कुमाऊं का शेर' कहा जाता है।
8. अनुसूया प्रसाद बहुगुणा
- इनका जन्म 18 फरवरी 1894 को होता है इन्हे 'गढ़ केसरी' की उपाधि से सम्मानित किया गया ,इन्होंने 1921 में 1928 में गढ़वाल युवा सम्मेलन की अध्यक्षता की थी।
9. प्रयाग दत्त पंत
- ये पिथौरागढ़ के चंढ़ाक के निवासी थे। उत्तराखंड की धरती पर आंदोलन की शुरुआत करने का श्रेय इन्हीं को जाता है।
10. भवानी सिंह रावत
- दुगड्डा में भवानी सिंह रावत को 'चंद्रशेखर आजाद' द्वारा पिस्तौल चलाने की कला सिखाई गई थी।
11. श्री देव सुमन
- मई 1916 में टिहरी के जौल गावँ इनका जन्म हुआ था। इन्होंने 1939 में 'टिहरी राज्य प्रजामंडल' की स्थापना की थी। इनका प्रमुख नारा था -
"तुम मुझे तोड़ सकते हो, लेकिन मोड सकते नही "
25 जुलाई 1944 को 84 दिन की भूख हड़ताल में आमरण अनशन करते हुए इनकी मृत्यु हो जाती है।
12. हेमंवती नंदन बहुगुणा
- 17 मार्च 1919 में पौड़ी के बुघाणि में इनका जन्म हुआ था। 1973 में इन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाता है। 1979 में इन्होंने "लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी" का गठन किया था, 1989 में इनकी अमेरिका में मृत्यु हो जाती है।
13. महाराजा मानवेंद्र शाह
- 1946 में इनका राज्य अभिषेक होता है। इन्होंने स्थानीय जनता के आग्रह पर 1 अगस्त 1949 में टिहरी को भारत संघ में विलय किया।
14.नारायण दत्त तिवारी
- इन्हें विकास पुरुष कहा जाता है 2 मार्च 2002 को इन्हें उत्तराखंड का पहला निर्वाचित मुख्यमंत्री बनाया जाता है।
15. गुमानी पंत
- इनका वास्तविक नाम लोकरत्न था। ये काशीपुर के गुमान सिंह के राजकवि थे। ये संस्कृत भाषा के कवि थे, फिर भी कुमाऊनी, हिंदी ,नेपाली में भी इन्होंने रचनाएं लिखी। जॉर्ज पियरसन ने इन्हें सबसे पुराना कवि माना है।
16.पीतांबर दत्त बर्त्वाल
- डी -लीट "डॉक्टर ऑफ लिटरेचर" की उपाधि प्राप्त करने वाले पहले उत्तराखंडी।
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